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इंडिया जस्ट ट्रांजिशन सेंटर (आईजेटीसी) का शुभारंभ, एवं जस्ट ट्रांजिशन पर एक नई रिपोर्ट का विमोचन

चन्द्रकान्त पारगीर
30 June 2021 8:43 AM IST
Updated: 30 June 2021 20:33 PM IST

नई दिल्ली, 29 जून, 2021 : इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेब्लीटि एंड टेक्नोलॉजी (iFOREST) ने आज एक वर्चुअल इवेंट में इंडिया जस्ट ट्रांजिशन सेंटर (IJTC) को लॉन्च किया। उद्घाटन सत्र में संसद सदस्य जयराम रमेश; संसद सदस्य जयंत सिन्हा; और विनोद कुमार तिवारी; अतिरिक्त सचिव, कोयला मंत्रालय ने भाग लिया । इस कार्यक्रम में "फाइव आर: ए क्रॉस-सेक्टोरल लैंडस्केप ऑफ जस्ट ट्रांजिशन इन इंडिया" शीर्षक से एक नई रिपोर्ट को भी जारी किया गया।

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इस कार्यक्रम में बोलते हुए, जयराम रमेश ने भारत में जस्ट ट्रांजिशन पर क्षमता बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। ​"स्वतंत्र अनुसंधान से संबन्धित क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है जिससे एडवोकेसी को आधार मिलेगा और अंततः एक बड़ा नीति में बदलाव आयेगा। इस क्षमता को बनाने और विशेषज्ञता को एक साथ लाने में IJTC की महत्वपूर्ण भूमिका होगी", रमेश ने कहा। सांसद जयंत सिन्हा, हजारीबाग (जो एक प्रमुख कोयला खनन जिला है), ने कोयला खनन क्षेत्रों में जस्ट ट्रांजिशन के लिए योजना शुरू करने की आवश्यकता पर बल दिया। "जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अगले दो से तीन दशकों में कोयले को फेज आउट करना आवश्यक है। इसके लिए अभी से प्लानिंग शुरू कर देनी चाहिए। राष्ट्रीय एवं राज्य नीति और जमीनी हकीकत के अंतर को दूर करने में आईजेटीसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

आईजेटीसी के विजन को पेश करते हुए आईफोरेस्ट के सीईओ चंद्र भूषण ने कहा, "आईजेटीसी को भारत में एक मंच के रूप में बनाया गया है जिसमें न्यायपूर्ण बदलाव के विभिन्न पहलुओं पर काम करने के लिए सभी हितधारकों को एक साथ लाया जा सकेगा। सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स के रूप में परिकल्पित, आईजेटीसी नीतियां और योजना बनाने मे सहयोग प्रदान करेगा, तकनीकी सहायता, बेस्ट प्रैक्टिस को बढ़ावा देगा एवं हितधारकों की क्षमतावर्धन जैसे विभिन्न पहलुओं पर नेतृत्व प्रदान करेगा। ​“वास्तव में, इस तरह के केंद्र की आवश्यकता पहले से ही झारखंड जैसे कोयला-निर्भर राज्यों में महसूस की जा रही है, जहां 50% कोयला खदानें लाभ ना होने के कारणों से अस्थायी या स्थायी रूप से बंद हैं। कई खदानें बिना उचित माइन क्लोसर एवं खनन क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की योजना के बगैर बंद की जा रही है। आईजेटीसी हितधारकों के साथ जस्ट ट्रांजिशन पर नीतियों और योजनाओं को विकसित करने के लिए काम करेगा ", उन्होंने कहा।

इस कार्यक्रम में बोलते हुए, कोयला मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव, विनोद कुमार तिवारी ने कोयला कंपनियों के साथ मिलकर जस्ट ट्रांजिशन पर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। तिवारी ने यह भी कहा की कोयला एक सीमित खनिज है और इसी लिए परिवर्तन होना बाध्य है। कुछ हद तक यह परिवर्तन शुरू भी हो गया है। यहाँ तक की एनटीपीसी जैसी पीएसयु पावर कंपनियां भी रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश कर रही हैं। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने भी रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश करना शुरू कर दिया है। हाल ही, अप्रैल 2021 में, कंपनी ने सौर पीवी विनिर्माण और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को शुरू करने के लिए दो पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों- सीआईएल सोलर पीवी और सीआईएल नवकर्णीय ऊर्जा लिमिटेड की स्थापना की घोषणा की है।

रिपोर्ट रिलीज

इस कार्यक्रम में "फाइव आर: ए क्रॉस-सेक्टोरल लैंडस्केप ऑफ जस्ट ट्रांजिशन इन इंडिया" शीर्षक से एक नई रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट पेश करते हुए, iFOREST में जस्ट ट्रांजिशन की निदेशक श्रेस्ठा बनर्जी ने कहा कि भारत में जस्ट ट्रांजिशन प्राप्त करने के लिए पांच कारक (फाइव आर) बहुत महत्वपूर्ण होंगे, जो आने वाले वर्षों में एक न्यायपूर्ण परिवर्तन की योजना बनाने के लिए महत्वपूर्ण होंगे। ये हैं- जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर जिलों में अर्थव्यवस्था का पुनर्गठन, भूमि और बुनियादी ढांचे, जैसे कोयला खदानों और बिजली संयंत्रों का पुनर्निमाण, कर्मियों का नए सिरे से कौशल विकास, राजस्व के विकल्प और ऊर्जा ट्रांजिशन के दौरान जिम्मेदार सामाजिक और पर्यावरण पहल”। रिपोर्ट में 3 प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया है, जिन्हें अगले 10 वर्षों में जस्ट ट्रांजिशन योजना के लिए आवश्यक माना गया है । ये हैं- कोयला खनन, कोयला आधारित बिजली और सड़क परिवहन। कार्बन गहन क्षेत्र जैसे स्टील, सीमेंट, ईंट और पेट्रोकेमिकल को भी अगले दो से तीन दशकों में ट्रांजिशन के लिए योजना बनानी होगी। रिपोर्ट में 60 जिलों की पहचान की गई है, उनमें से कई ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में हैं। यहाँ औद्योगिक पुनर्गठन की आवश्यकता होगी जिससे सामाजिक-आर्थिक व्यवधानों से बचा जा सके।

1. इंडिया जस्ट ट्रांजिशन सेंटर (आईजेटीसी) को भारत और अन्य विकासशील देशों में जस्ट ट्रांजिशन के मुद्दे पर व्यापक रूप से काम करने के लिए एक मंच के रूप में स्थापित किया गया है।

2. 2015 के पेरिस समझौते में जस्ट ट्रांजिशन को जलवायु परिवर्तन एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया गया है। दुनिया भर में जस्ट ट्रांजिशन के विषय पर सकारात्मक पहल की जा रही है।

3. जस्ट एनेर्जी ट्रांजिशन को लेकर विकसित देश अपनी ज्ञान और क्षमतावर्धन कर रहे है, कि कैसे नेट-जीरो (शून्य कार्बन उत्सर्जन) लक्ष्यों को अमल मे लाया जा सके। भारत जैसे विकासशील देशों को जस्ट ट्रांजिशन के लिए नीतियों और योजनाओं पर सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण करने की आवश्यकता है।

4. भारत के सामने जस्ट ट्रांजिशन को लेकर बड़ी चुनौतियाँ हैं।

• भारत की तीन-चौथाई मूल ऊर्जा की जरूरतें जीवाश्म ईंधन से पूरी होती है।

• देश में ऐसे 120 जिले हैं जो अपनी विकास और आजीविका के लिए जीवाश्म ईंधन और संबंधित उद्योगों पर निर्भर हैं।

• कम से कम 2 करोड़ कामगार जिनमें से अधिकांश अनौपचारिक हैं, जीवाश्म-ईंधन और संबंधित क्षेत्रों पर निर्भर हैं।

• इसके अलावा, वित्त एवं राजस्व के विकल्प, समुदायों और क्षेत्रों की क्षमता, और सरकारों और उद्योगों की तैयारी एवं अनुकूल बनाने के मुद्दे हैं।

5. आईजेटीसी भारत में जस्ट ट्रांजिशन के विभिन्न पहलुओं पर काम करने के लिए सभी हितधारकों को एक साथ लाएगा। सेंटर ऑफ ऐक्सीलेन्स के रूप में, आईजेटीसी नीतियां और योजना बनाने मे सहयोग से लेकर तकनीकी सहायता, बेस्ट प्रैक्टिस को बढ़ावा, हितधारकों की क्षमतावर्धन जैसे विभिन्न पहलुओं पर नेतृत्व प्रदान करेगा।

6. आईजेटीसी जस्ट ट्रांजिशन पर विकासशील देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की समझ में सुधार लाने और यूएनएफसीसीसी में उनकी स्थिति को मजबूत करने के लिए भी सहयोग प्रदान करेगा।

7. लॉन्च इवेंट में आईफोरेस्ट द्वारा "फाइव आर: ए क्रॉस-सेक्टरल लैंडस्केप ऑफ जस्ट ट्रांजिशन इन इंडिया" रिपोर्ट जारी की गई। यह रिपोर्ट कोयला खनन, थर्मल पावर और ऑटोमोबाइल जैसे कुछ प्रमुख क्षेत्रों में बदलाव (जस्ट ट्रांजिशन) की तैयारी पर जोर देती है। ।

8. रिपोर्ट में 60 जिलों की पहचान की गई है, जो ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में स्थित हैं। यहाँ औद्योगिक पुनर्गठन की आवश्यकता होगी जिससे सामाजिक-आर्थिक व्यवधानों से बचा जा सकेगा


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