स्थानांतरण सूची जारी, बिना शिकायत, बिना मांग कर दिया स्थानांतरण, दो वर्ष बाद हटे बैन पर बाबूओं की चली मनमानी

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चन्द्रकान्त पारगीर
13 September 2022 19:11 PM IST
Updated: 13 September 2022 19:18 PM IST
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कोरिया जिले में कुछ विभागों की स्थानांतरण सूची जारी हो गयी, इस बार का स्थाानांतरण का कारोबार काफी महंगा रहा हैं, वहीं विभागों के स्थापना शाखा की पौ बारह रही है, इस मामले में कुछ विभाग के अधिकारियों को यह पता ही नही है कि उनके किस बाबू को कहा भेजा गया है, सिर्फ उनके हिस्से से मतलब था, ऐसे में कई ऐसे लोगों के भी स्थानांतरण हो गए, जिनकी ना तो कोई शिकायत थी और ना ही उन्होनें आवेदन किया था। अब वो कोर्ट जाने की तैयारी में है।
सूची को लेकर सवाल खड़े
कोरिया जिले में प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के पश्चात कलेक्टर कार्यालय द्वारा पशु चिकित्सा विभाग के 4, आयुर्वेद विभाग के 2, राजस्व विभाग के 6, अदिम जाति अनुसूचित जाति विभाग के 3, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के 1, राजस्व विभाग भू अभिलेख शाखा से 7, शिक्षा विभाग से सबसे ज्यादा 58, स्वास्थ्य विभाग से 49 लिपिक व अन्य कर्मचारियों को स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया गया। सूची के जारी होते ही जिन्होनें भाग दौड़ कर आवेदन किया और खर्चा पानी भी दिया उनका नाम सूची से नदारद दिखा, जिससे बाद सूची पर सवाल खडे़़ होने लगे। वहीं कुछ तो दिए गए खर्चे पानी की वापसी की गुहार लगाने लगे। जबकि जिनका स्थानांतरण बेहद जरूरी था, जो काफी समय से परेशान थे, उन्हें अधिकारियों ने आश्वासन भी दे रखा था कि कर देगें ऐसे कर्मचारियों का नाम नदारद था, जबकि वो भी खर्चा पानी करने को तैयार थे, बावजूद उनका सूची से नाम गायब देखा गया। जिसके बाद सूची को लेकर कर्मचारियों ने सवाल खड़े कर दिए।
स्थापना शाखा की बल्ले बल्ले
हर कार्यालय में स्थापना शाखा से कर्मचारी अच्छे संबंध बना कर रखता है, दो साल बाद स्थानांतरण पर खुले बैन को लेकर कई कर्मचारियों ने आशा बना रखी थी कि इस बार तो उनकी स्थानांतरण हो जाएगा, परन्तु स्थापना शाखा ने ऐसे सैकड़़ो उनके साथी कर्मचारियों को धता बताते हुए सेटिंग से सूची बनाकर जारी की दी, विभाग में जो कुछ नहीं करते है उन्हें और मलाईदार शाखा पर भेज दिया, और जो मलाईदार शाखा में है दर्जनों शिकायत है उन्हें टस से मस नहीं किया। ऐसे में दो चार कर्मचारी जिनकी वजह से कार्यालय का कुछ काम होता है उन्हें कही और स्थानांतरीत करवा दिया, वह भी बिना किसी शिकायत और बिना उनकी इच्छा के हटा दिया। शाखा प्रभारियों ने विभाग के आला अधिकारी को तक इसकी भनक नहीं होने दी। आला अधिकारी को सिर्फ उनका हिस्सा देकर चुप करा दिया।
रायपुर से ज्यादा रेट
दो वर्ष बाद खुले स्थानांतरण को लेकर बाजार में चर्चा आम है, इस बार कोरिया जिले में रायपुर में स्थानांतरण के लिए लगने वाले खर्च से दोगुना खर्च यहां करना पडा है। नाम नहीं छापना की शर्त पर कर्मचारियों ने बताया कि कोरिया जिले में स्थानांतरण करवाने का रेट हजारों से लाखों में जा चुका है। जबकि यह रेट रायपुर में भी नहीं है। वहीं कई कर्मचारियों की माने तो राशि देने के बाद भी उनका स्थानांतरण नही हो पाया है। अब वो वापसी की मांग कर रहे है।
8 साल से अटैच अब वहीं स्थानांतरण
स्थानांतरण सूची के जारी होने पर कई स्थानांतरण ऐसे हुए है जिन्हें देख कर लोग हैरान है। एक कर्मचारी एक ही स्थान पर बीते 8 वर्ष से अटैच रहा, अब उसके आपसी समझौता के जरीए जिस पर 8 वर्ष से अटैच है वहीं स्थानांतरण करवा लिया है, इस तरह कुछ स्थानांतरण ऐसे भी देखे गए जो कभी कार्यालय नहीं आते, ना ही कोई काम में हिस्सा लेते है, स्थानांतरण शाखा से ऐसी सेटिंग की अब अपने घर के पास स्थानांतरण करवा लिया है।
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